धर्म

दिल्ली अक्षरधाम में अन्नकूट उत्सव व गोवर्धन पूजा का भव्य आयोजन

1 अन्नकूट उत्सव व गोवर्धन पूजा पर दिल्ली अक्षरधाम में भक्तों का उमड़ा सैलाब  

2 दिल्ली अक्षरधाम में अन्नकूट उत्सव व गोवर्धन पूजा का भव्य आयोजन

3 अक्षरधाम मंदिर में 1556 से अधिक शुद्ध शाकाहारी सात्विक व्यंजनों का अनूठा भोग

नई दिल्ली, 02 नवंबर 2024 – हर वर्ष की तरह ही इस साल भी स्वामिनारायण दिल्ली अक्षरधाम में अन्नकूट और श्री गोवर्धन पूजा का उत्सव पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था और उत्साह के साथ भाग लिया। 

गुरु परम पूज्य महंत स्वामी महाराज की प्रेरणा से विश्व भर में पूरे 1600 से भी अधिक स्वामिनारायण मंदिरों, संस्कार केंद्रों में अन्नकूट सहित सभी हिन्दू पर्व और त्यौहार भक्ति भाव और सौहार्द के साथ भव्यतापूर्वक मनाये जाते है। 

आज अक्षरधाम परिसर में पूज्य डॉक्टर स्वामीजी की उपस्थिति में प्रात: 10 बजे गोवर्धन पूजा की गई।

5000 साल पहले भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से गोकुल ग्राम वासियों की रक्षा करने के लिए एक  बालक के रूप में गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ ऊँगली पर उठा लिया था। जिसे आज गोवर्धन पूजा के रूप में हम हर साल मनाते है। दीपावली के बाद शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को मनाया जाने वाला यह उत्सव हमें भगवान के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रगट करने का अवसर देता है। 

सुबह सूर्योदय से पहले ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली। मंदिर परिसर में विशेष रूप से बनाई गई गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति, पारंपरिक रंगोली, और भक्तिमय वातावरण में संतों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा सम्पन्न हुई। इस अवसर पर पूज्य डॉक्टर स्वामीजी ने बताया कि “गुजराती कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास से नूतन वर्ष का आरम्भ होता है। इस पर्व पर आप सभी को शुभ कामनाएँ। आप सभी के जीवन में शुभ और लाभ की वृद्धि हों। विश्व में शांति और सुलह हो यही गुरु महंतस्वामी जी महाराज के चरणों में प्रार्थना।

वहीं मंदिर में भगवान के सामने 1556 से भी अधिक सात्विक शाकाहारी व्यंजनों का भोग लगाया गया। ग़ौरतलब है कि यह सब शाकाहारी व्यंजन सभी स्वयंसेवक व हरिभक्तों ने मिलकर तैयार किये जो कि भगवान के प्रति उनके अटूट प्रेम और भक्तिभाव को दर्शाता है। विशेष रूप से उपस्थित वरिष्ठ संत पूज्य डॉक्टर स्वामी ने अपने उद्बोधन में भक्तों को परस्पर सौहार्द और प्रभु प्रेम में जीने का संदेश दिया।

भगवान के अन्नकूट दर्शन और इस उत्सव का लाभ लेने के लिए श्रद्धालुओं का आना देर शाम तक चलता ही रहा। इस उत्सव से “तेरा तुझको अर्पण” का भाव अभिव्यक्त हुआ – जो कुछ हमारे पास है वह ईश्वर की कृपा है, और उसी में से ईश्वर को सब अर्पण कर आनंद और संतोष प्राप्त करना जीवन की सच्ची खुशी है।

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